शनिवार, मार्च 03, 2007

नोटपेड का डायरी कि तरह उपयोग

इन्टरनेट के मायाजाल मे उल-जलुल हरकते करते करते मुझे एक नये ब्रहम ज्ञान की प्राप्ति हुई। नोटपेड का डायरी कि तरह उपयोग करने का तरीका । मुझे काफी अच्छा लगा। कौन इस के जन्मदाता है ये तो पता नही चला परन्तु मैने सोचा शायद हमारे कुछ मित्रो को इस के बारे मे जानकारी न हो। अत: अपने ब्लाग मे इसका उल्लेख करना उचित समझा। तो महाशय तैयार हो जाये ब्रहम ज्ञान का रसपान करने के लिये।

  1. ये तो आप लोगो को पता ही होगा कि नोटपेड को कैसे खोलते है। नही पता तो घबराने की कोई आवश्यकता नही है, हम बताते है। स्ट्रार्ट पर किल्लिक करे, प्रोग्राम मे जाये, असशिरीज मे किल्लिक करे। नोटपेड दिखाई दिया ना तो बिना रूके किल्लिक कर दे।हा तो खुल गया आपका का कोरा कागज ।
  2. अब लिखे .LOG (लिखने के लिये बडे अक्षरो का प्रयोग करे)लिखना शुरू कि लाइन मे ही है। एन्टर दबा दे।
  3. अब वक्त है इस पोथी को सहजने का अर्थात सेव करने का। सेव कर दे अपनी मन मुताबिक स्थान पर मन मुताबिक नाम से जैसे कि डांयरी, मेरी डांयरी इत्यादि ।
  4. अब अपनी सेव की पोथी को खोले। देखा महाशय चम्तकार आपकी पोथी मे आपके कम्प्युटर की घडी के मुताबिक समय और तिथी आ गई है। लिखिये अपनी गाथा और सेव कर दे। जब आप अगली बार पोथी खोलेगे तो एक लाइन छोड कर नयी समय और तिथी आ जायेगी।

तो देर किस बात की है आजमाइये इसे।

2 टिप्‍पणियां:

  1. हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है गिरीश जी। आपको हैरानी होगी मैं आपका स्वागत अब कर रहा हूँ जबकि क्योंकि आप दिसंबर से लिख रहे हैं। मैं हैरान हूँ कि तीन महीन से लिखने के बावजूद आप के चिट्ठे पर पहला टिप्पणीकार मैं ही हूँ। न अभी तक आपका नाम सुना था। शायद आप अन्य चिट्ठाकारों के संपर्क में नहीं हैं और आपको नारद, परिचर्चा आदि सामुदायिक साइटों के बारे में पता नहीं। लेकिन ऐसा अगर है तो भी हैरानी की बात है क्योंकि आपने अपने ब्लॉगरोल में काफी सीनियर चिट्ठाकारों के ब्लॉगों के लिंक लगा रखे हैं। आपकी हिम्मत माननी पड़ेगी कि इतने दिनों से बिना कोई टिप्पणी आए स्वांत सुखाय लिख रहे हैं।

    खैर चलिए मैं आपको बता देता हूँ। 'नारद' एक साइट है जिस पर सभी हिन्दी चिट्ठों की पोस्टें एक जगह देखी जा सकती हैं। हिन्दी चिट्ठाजगत में चिट्ठों पर आवागमन नारद के जरिए ही होता है।

    अतः नारदमुनि से आशीर्वाद लेना न भूलें। इस लिंक पर जाकर अपना चिट्ठा पंजीकृत करवा लें। नारद आशीर्वाद बिना हिन्दी चिट्ठाजगत में कल्याण नहीं होता।

    'परिचर्चा' एक हिन्दी फोरम है जिस पर हिन्दी टाइपिंग तथा ब्लॉग संबंधी मदद के अतिरिक्त भी अपनी भाषा में मनोरंजन हेतु बहुत कुछ है।

    अतः परिचर्चा के भी सदस्य बन जाइए। हिन्दी लेखन संबंधी किसी भी सहायता के लिए इस सबफोरम तथा ब्लॉग संबंधी किसी भी सहायता के लिए इस सबफोरम में सहायता ले सकते हैं।

    उम्मीद है जल्द ही नारद और परिचर्चा पर दिखाई दोगे।

    श्रीश शर्मा 'ई-पंडित'

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  2. गिरिश जी
    स्वागत है आपका
    यह ब्रह्मज्ञान आपसे पहले मैने यहाँ बताया है
    ॥दस्तक॥

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