शुक्रवार, अगस्त 06, 2010

अप्रेजल की दुखद कहानी

हर बार नए फैनेंशियल इयर की शुरुआत में अक्सर ऑफिसों में अप्रेजल की बात चलने लगती है। और इसी अप्रेजल की बात के साथ शुरू हो जाता है अप्रेजल का खेल । अप्रेजल से संम्बधित विपीन खनडूरी कि ये कविता बहुत ही अच्छी लगी जो मुझे मेल द्रारा प्राप्त हुई । तो सोचा क्यो ना आप लोगो से भी इसे बाँटा जाये । कुछ इसी तरह का वाक्या मेरे साथ भी घटित हो चुका है फरक इतना है कि मेरा 2 रुपये कि जगह पर सिर्फ 500 रुपये कि बढोतरी हुई थी और मेने भी खनडूरी कि तरह कि करना उचित समझा इस कविता ने ने 2 साल पहले का वाक्या याद दिला दिया।

अप्रेजल के नाम पर एक लम्बी आह भरते है,
चलीये अब हम इस दुखद कहानी कि शुरुआत करते है,

हमेशा कि तरह 10 बजे ठुमकते हुए आफिस आया,
11 बजे नाश्ता किया और बारह बजे तक मेल पढ पाया,

हमेशा कि तरह आज भी मुझे आलस आ रहा था,
और मेरा PM मुझे तिरछी निगाहो से देख देख गुस्सा रहा था,

मै बडे कन्सनट्रेसन के साथ एक मेल पढ रहा था,
तभी देखा मेरे PM के नाम का नया मेल कोने मे से झाक रहा था,

फिर कोई ट्रेनिग करनी होगी, ये क्या बकवास है,
क्या जबाब दू कि, मेरे मेल बाक्स का उपवास है,

मेने आखे बंद कि और 10 बार ॐ ॐ बोला
और प्रणाम करते हुये मैने वो मेल खोला,

PM के इस मेल मैं एक अजीब सा सुकून और भोलापन है
लिखा है भाइयों अप्रेजल पत्र आ गएअब तो आमने सामने कि बात है।

मॅन मैं ऐसे बुरे बुरे ख्याल आ रहे थे
ऊपर से कुछ लोग मेरे डि अप्रेजल की गन्दी अफवाह उड़ा रहे थे

PM को पत्र लाते देख हर कोई उसे देखता जाता है
जैसे मलिका के किसी नए गाने को देखा जाता है

आखिर वो वक़्त आयाPM ने एक एक करके सब को बुलाया
जो भी अंदर जाता हँसता हुआ जाता
जो बहार आतामुरझाया हुआ आता

बहार आ कर इंसान संभल भी नहीं पता है
की कितना हुआ कितना मीला हर कोई उसपे टूट जाता है

किसी एक को अप्रेजल मैं 2000 रुपये मिले थेमैं उसकी हंसी उड़ा रहा था
तभी मैंने देखा मेरा PM इशारे से मुझे अंदर बुला रहा था

मैं आत्मविश्वास से उठा और आगे कदम बढाया
तभी मेरी बेलट का बकल टूट के नीकल आया

मेरी हालत तो अभी से ही बुरी हो गयी
साला इज्ज़त उतरना तो यही से शुरू हो गयी

मैं अंदर पहुंचा और PM ने मुझे बिठाया
उसने पत्र पढा और वो हंसी रोक न पाया

वोह इतना हंसा की उसके आंसू आ गए
क्या मेरे अप्रेजल के अंक इतने भा गए

जैसे ही उसने अप्रेजल पत्र मेरी तरफ बढाया
मेरी आँखों के आगे घनघोर अँधेरा छाया

मुझे लगा जैसे मेरे दिल की दीवार को किसी ने गोबर से पोता है
अरे यार बीस रुपये ये भी कोई बढोतरी का इनाम होता है

ये साप्टवेयर इन्ड्स्ट्री है अखाडा नहीं है
ये वेतन बढोतरी है रोहनी आने -जाने का भाडा नहीं है

मेरे चारों तरफ कलि घटा छायी तभी मेरे PM की मोहक आवाज़ आई

तुम सोच रहे होगे के company mgmt का दिमाग फिर गया है
पर बेटा हम क्या करें डालर का भाव 2 रुपये जो गिर गया है

पर फिर भी मुझे लगता है ये पत्र गलत है
मुझे तो लगता है ये प्रिन्टिग की गलती है

तुम HR मैं जाओ और ये पता करके आओ

भाई HR मैं जाने के लिए तैयार होना पड़ता है
वही तो ऐसी जगह है जहाँ सुंदर लड़कियों से पला पड़ता है

ये क्या जहाँ रेनुका बैठी है आज वहां बैठा आपताब है
मैं समझ गया बेटा आज अपना किस्मत ही ख़राब है

उसने मेरा पत्र खोला और खुश हो के बोला

वो बोला श्रीमान आप के लिए खुशखबरी है
आप के पत्र ने प्रिन्टिग की ही गलती है

मैंने कहा मित्र अब देर न लगाएं
और मुझे मेरा सही सही हिसाब किताब बताएं

वो बोला माफ करे श्रीमान ये एक्सीडेंट है
बीस रुपये नहीं दो रुपये आप कि बढोतरी है

मैं क्या करूं आप को ये बताते हुए मेरा दिल रो रहा है
पर क्या करें डालर का भाव भी तो कम हो रहा है

मैं बस वहाँ खडा था कुछ समझ नहीं आ रहा था
मुझसे ज्यादा बढोतरी तो चपरासी वाला पा रहा था

मैंने खुद को संभालाखुद को उठाया
मैं लौटा और सीधे PM के पास आया

मैं सीधा उसके केबिन गया और दरवाज़ा खोला
इस से पहले की वो बोले मैं ही उस से बोला

महाशय ये पैसे वापिस ले लीजिये बात करना फीजूल है
मैं गरीब हूँ पर भीख नहीं लेता ये मेरा उसूल है|

सभार : विपीन खनडूरी

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