मंगलवार, अगस्त 31, 2010

अकेला

इस अजनबी सी दुनिया में, अकेला इक ख्वाब हूँ.
सवालों से खफ़ा, चोट सा जवाब हूँ.

जो ना समझ सके, उनके लिये "कौन".
जो समझ चुके, उनके लिये किताब हूँ.

दुनिया कि नज़रों में, जाने क्युं चुभा सा.
सबसे नशीला और बदनाम शराब हूँ.

सर उठा के देखो, वो देख रहा है तुमको.
जिसको न देखा उसने, वो चमकता आफ़ताब हूँ.

आँखों से देखोगे, तो खुश मुझे पाओगे.
दिल से पूछोगे, तो दर्द का सैलाब हूँ.

9 टिप्‍पणियां:

  1. दिल को छु लेने वाली रचना है .....
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/

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  2. bhut khub dil ki baaton ko jubaan pe lana itna asan nahi hai...

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  3. aapka ye lekh to dil ko chhu gaya sach me ..... very nice...
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  4. kya khub likha hai maja aa gaya janab really good shayari...........
    Valentine Day flowers

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  5. Sach ma dil ko chuu gayi channdd baatein././//wah wah.....
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  6. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ गिरीश जी !

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  7. जो ना समझ सके, उनके लिये "कौन".
    जो समझ चुके, उनके लिये किताब हूँ.

    ....बहुत खूब! बहुत सुंदर प्रस्तुति...

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