शुक्रवार, फ़रवरी 23, 2007

मेरा गाँव

मेरा गाँव, गाँव का नाम सुनते ही न जाने कितनी ही स्मृतिया एक के बाद एक मानस पटल पर क्रिड्रा करने लगती है। पुराना मकान, सीढीनुमा हरे भरे खेत, चीड, देवदार, साल, सागौन के पेडो से भरे जंगल और प्यारा सा बचपन। बहुत पहले पिताजी हमे शहर ले आये थे। तब मे शायद 3 या 4 साल का रहा हूँगा। पिताजी को सरकारी आवास मिला हुआ था। उसी मे बचपन के दूसरे चरण का प्रारम्भ हुआ। गाँव का बचपन धूमिल होता गया और शहरी बचपन नये पायदान पर।

मै 15 वषौ के बाद गाँव गया था, वो भी इजा के पिताजी को बार बार कहने पर कि देख तो आइये हमारा मकान कैसा है। खेतीहर जमीन हमने जिन लोगौ को दी है,वो ढंग से खेती करते है भी कि नही। जमीन बंजर तो नही छोडी हुई है। मकान कही से टूटा तो नही है। तब मै इजा के गाँव से जुडे इस प्रेम को नही समझ पाता था।

गाँव आकर पुरानी यादे ताजा हो गयी,गाँव की चढाई मे बच्चो का समूह,कंधे पर बस्ता,हाथ मे कमेट की दवात,जेब मे लाइन खीचने का धागा लिये स्कूल जाते थे,आज भी जाते है। फर्क है तो ये कि पहले गाँव वाले लडकियो को स्कूल नही भेजते थे, अब भेजते है। मेरे समय मे स्कूल कि इमारत कच्ची थी, अब पक्की हो गयी है। पुराने समय मे अगर किसी गाँव मे या किसी आदमी को कोई संदेश या न्यौत देना होता था तो उस आदमी को बता दिया जाता था जो उस गाँव के संर्पक मे हो या उस आदमी का परिचित हो। गाँव के लोग इसी तरह से संदेशो का आदान प्रदान करते थे। अब तो एक छोटा सा पोस्ट आफिस भी है। फोन इत्यादि की सुविधाये भी पहुचने लगी है। दवाई इत्यादि के लिये पहले 20 किलोमीटर दूर जाना पडता था,पर अब छोटे से सरकारी अस्पताल के खुल जाने से छोटी छोटी बीमारियो का ईलाज वही पर हो जाता है।

गाँव की खेती के तो क्या कहने। जंगल से खेतो की खाद के लिये पतेल, पिरोउ के जाल गोठ मे संचित किये जाते है और बाद मे गोबर के साथ डालो मे भरकर खेत मे डाल दिये थे। अब भी वही प्रथा चली आ रही है। गेंहूँ,जौ,धान,मडुआ,काकुनी,गहत,भट्र की खेती उसी तरह से होती है। खाद वही पुरानी और पानी के लिये देवराज इंन्द्र पर निर्भरता। बिना खाद पानी के जमीन से आशा भी क्या की जा सकती है। कमरतोड मेहनत और फल वही, मुटठी भर अनाज। पर मजाल है गाँव वाले मेहनत करना छोड दे।

पिताजी कहते थे कि पहले गाँव मे पहुचने के लिए लगभग 30 या 35 किलोमीटर पैदल चलना पडता था पर अब तो मोटर मार्ग बन गया है। कई टैक्सी, जीपे एव सरकारी बसे रोजाना आती जाती है। गाँव से अब मु्श्किल से आधे किलोमीटर की चढाई चढनी पडती है। मोटर मार्ग के कारण बहुत सी सुविधाये मिल गयी है।आजकल तो ये हालात है की ह्लद्रानी\अल्मोडे से खरीदे समान मे एव स्थानीय बाजार से खरीदे समान मे 2 या 3 प्रतिशत का अंतर होता है। गाँव के लोग रात्रि मे उजाले के मिट्रटी के तेल की ढिबरी का प्रयोग करते थे। अब तो गाँव मे बिजली पहुच गयी है।

लगभग 15 वर्षो मे छोटी मोटी सुविधाऔ के बावजूद मेरा गाँव वैसा ही है जैसा मैने छोडते समय देखा था। गाँव का मूल स्वरूव एव चरित्र बिल्कुल भी नही बदला है। तीज त्यौहारो और धार्मिक मान्यताऔ की उमंग वही पुरानी है। हुडुक, ढोल, मशीनबाज जैसे ठेठ वाद्ययन्तो की थाप पर रात भर झवाड और लोक गीत के बोल गुजते है। आज भी होली मे होलियारो की टोलिया हर घर के आगन मे जाकर होली गाती है, आशिष देती है। होलियारो के पीछे पीछे होता है बच्चो का समूह जो हर घर मे बटने वाले गुड की डलिया इकटृठा करते है। क्या मिठास होती है उस गुड मे। दिवाली पर सभी लोग एक दूसरे के घर जाकर बधाईया देते है। घूघूती, हरेला, मकर संक्राती पहले की भाँती मनाये जाते है।

कहते है जब कोई परिवर्तन होता है तो उसके साथ साथ उस से जुडी अन्य चीजो मे भी छोटे मोटे परिवर्तन होते है। कुछ अच्छे कुछ बुरे। इतने अच्छे परिवर्तनो के साथ कुछ बुरे परिवर्तन भी हुए है। पहले शराब को कोई जानता भी नही था, मगर अब शराब गाँव की जिन्दगी मे कडवाहट घोलती जा रही है। पाश्चातय संस्कृति की हवा से मेरा गाँव भी अछूता नही रहा है। समय एवं परिस्थितियो के साथ गाँव के संदर्भ एवं परिभाषाए अवश्य बदल जाती है पर गाँव कभी नही मरता, वह आज भी जिन्दा है मेरे अन्दर....स्टिल एलाइव। मैं भगवान से यही प्रार्थना करता हूँ कि मेरा गाँव खूब फले फूले और तरक्की करे।

गुरुवार, फ़रवरी 22, 2007

क्रिकेट महासंग्राम मे टीम इंडिया


विश्वकप के लिये भारतीय चयनकर्ताओ ने 15 रणबांकुरो को चुन लिया है। वेस्टइंडीज मे होने वाले क्रिकेट महासंग्राम मे टीम इंडिया के विभिन्न खिलाडियो से भारतीय प्रशंसको को बहुत सी उम्मीदे है। क्या भारतीय रणबांकुरे देश के करोडो लोगो की उम्मीदो पर खरे उतर पायेगे ? या हर बार कि तरह फुस, यह तो भविष्य ही बतायेगा। आइये नजर डालते है 15 रणबांकुरो पर और उनसे जुडी भारतीय प्रशंसको कि उम्मीदे :


राहुल द्रविड: मिस्टर वाल, मिस्टर कूल जैसे संबोधनो से जडीत क्रिकेटर इस बार भारतीय सेना के सेनापती है। आपने हाट कप्तानी करनी है एव बल्ले का भी बखुबी उपयोग करना है।

सचिन तेद्रुलकर: लिटिल मास्टर आपने पिछली बार की तरह इस बार भी रनो कि झडी लगानी है। अगर आप नही चल पाये तो समझो किले का एक द्रार टूट चुका है और दुश्मन कभी भी हावी हो सकता है।

सौरव गागुली: बंगाल टाइगर से लोगो को उम्मीद है कि वो दहाडे। अगर वो दहाडेगे तभी तो विपक्षी टीम मे दबाव बढेगा। आपको दिखाना है कि शेर, शेर होता चाहे वह जंगल मे रहे या कही और।

वीरेद्र सहवाग: मुल्तान के सुल्तान पर चयनकर्ताओ ने जो दाव लगाया है आशा है वो इसे विफल नही होने देगे। आप चाहे किसी भी क्रम मे बल्लेबाजी करे पर करे अपने ही अंदाज मे।

महेद्र सिह धोनी: झारखंड के इस सपूत मे किसी भी गेदबाज को मैदान के बाहर का रास्ता दिखाने का दम है पर जरूरत है तो थोडा कूल रहने की। गर्म खाना खाने से हमेशा मुह जलता है, थोडा ठंडा कर खाये।

युवराज सिह: फील्डिग मे जान लगा देनी है पर बेवजाह मे ही कूदना-फादना नही है, क्योकि काफी समय अनफिट रहने के बाद वापसी हुई है। आपने अभी काफी क्रिकेट खेलनी है।

राबिन उथप्पा: दमदार शरीर होने के साथ साथ आपको दमदार शाट लगाते हुए देखना अच्छा लगता है पर इस फार्म को बेरोकटोक जारी रखना।

दिनेश कार्तिक: मैच मे बल्लेबाजी करने का मौका मिले या न मिले पर कूद - फाद कर रन जरूर बचाने है ताकि 15-20 रन कि बढत मिल सके।

अनिल कुंबले: जंबो आपको गेदबाजी के साथ-साथ "रनिग बिटवीन द विकेट" पर भी ध्यान देना है क्योकि हो सकता है आपको निचले क्रम मे बल्लेबाजी करने का मौका भी मिल सकता है।

हरभजन सिह: भज्जी आपको गेदबाजी पर काफी ध्यान देना है क्योकि हो सकता है किसी मैच मे आप अकेले ही स्पिनर हो। पर आपने अपने धर्मगुरू के कथन "सवा लाख से एक लडाउ ता गुरू गोविंद सिंह नाम कहाउ" को चरिर्थाथ करना है।

जहीर खान: टीम से बाहर होकर अच्छे प्रदर्शन के जरिये टीम मे आना कोई आप से सीखे। गेदबाजी के साथ-साथ सही लाइन लेथ पर भी ध्यान देना होगा ।

मुनाफ पटेल: चयनकर्ताओ को इस गेदबाज पर काफी भरोसा है। अपनी गेदबाजी की धार को कायम रख कर उनके भरोसे को कायम रखना।

इरफान पठान: कृपया अपनी गेदबाजी पर ध्यान दे क्योकि घातक गेदबाजी के जरिये ही आप टीम इंडिया को जीत दिला सकते है।

अजित अगारकर: टीम को ब्रेकथुरू दिलाना आपको भली - भाती आता है, पर रनो पर हाथ ढिला रखना और घातक गेदबाजी करना

श्रीसंत: माना कि आप अच्छे डांसर है पर आप टीम मे गेदबाजी के लिये रखे गये है। कृपया अपना होमवर्क पूरा कर अपनी गेदबाजी पर ध्यान दे ।


विश्व कप के लिए चुनी गई भारतीय टीम
राहुल द्रविड़ (कप्तान), सचिन तेंदुलकर (उप-कप्तान), वीरेंदर सहवाग, सौरभ गाँगुली, युवराज सिंह, महेंद्र सिंह धोनी, अनिल कुंबले, हरभजन सिंह, रॉबिन उथप्पा, दिनेश कार्तिक, ज़हीर ख़ान, अजित अगरकर, मुनाफ़ पटेल, श्रीसंत, इरफ़ान पठान.

बुधवार, फ़रवरी 21, 2007

क्या ईश्वर देखा है तुमने ?


कहते है जिसे ईश्वर
क्या देखा है तुमने
जिसने सारा संसार बनाया
क्या देखा है तुमने ।।

संसार में इंसान आया
इंसान मे शैतान समाया
शैतान के कारण बनता दु:ख
और दु:ख मे छिपता सुख ।।

कैसी है ये भाग्य विडम्बना
ईश्वर से इंसान बना
दु:खो एव सुखो के मेल से
एक नया संसार बना ।।

दु:ख और सुख है
एक भंवर की भांती
जिसमे फस गये तो
फसे रहते दिन राती ।।

न फसे तो सिर्फ शून्य
शून्य मे फिर ईश्वर
कहते है और जिसे परमेश्वर
क्या देखा है तुमने ।।

पर बंधी है एक विश्वास की डोरी
रचना की जिसने इस सृष्टि की
वह ईश्वर है, वह ईश्वर है
न देखा है तुमने न देखा है मैने ।।