शनिवार, जून 29, 2013

मन की शांति


एक बार एक किसान की घड़ी कहीं खो गयी. वैसे तो घडी कीमती नहीं थी पर किसान उससे भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ था और किसी भी तरह उसे वापस पाना चाहता था.  उसने खुद भी घडी खोजने का बहुत प्रयास किया, कभी कमरे में  खोजता तो कभी बाड़े तो कभी अनाज के ढेर में ….पर तामाम ... कोशिशों के बाद भी घड़ी नहीं मिली. उसने निश्चय किया की वो इस काम में बच्चों की मदद लेगा और उसने आवाज  लगाई , ” सुनो बच्चों , तुममे से जो कोई भी मेरी खोई घडी खोज  देगा उसे मैं १०० रुपये इनाम में दूंगा.फिर क्या था , सभी बच्चे जोर-शोर दे इस काम में लगा गए…वे  हर जगह की ख़ाक छानने लगे , ऊपर-नीचे , बाहर, आँगन में ..हर
जगह…पर घंटो बीत जाने पर भी घडी नहीं मिली.

अब लगभग सभी बच्चे हार मान चुके थे और किसान को भी यही लगा की घड़ी नहीं मिलेगी, तभी एक लड़का उसके  पास आया और बोला , ” काका मुझे एक मौका और दीजिये, पर  इस बार मैं ये काम अकेले ही करना चाहूँगा.”  किसान का क्या जा रहा था, उसे तो घडी चाहिए थी, उसने तुरंत  हाँ कर दी. लड़का एक-एक कर के घर के कमरों में जाने लगा…और जब वह  किसान के शयन कक्ष से निकला तो घड़ी उसके हाथ में थी.  किसान घड़ी देख प्रसन्न हो गया और अचरज से पूछा ,” बेटा,  कहाँ थी ये घड़ी , और जहाँ हम सभी असफल हो गए तुमने इसे कैसे ढूंढ निकाला ?”लड़का बोला,” काका मैंने कुछ नहीं किया बस मैं कमरे में गया और चुप-चाप बैठ गया, और घड़ी की आवाज़ पर ध्यान केन्द्रित करने  लगा , कमरे में शांति होने के कारण मुझे घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे गयी , जिससे मैंने उसकी दिशा का अंदाजा लगा लिया और  आलमारी के पीछे गिरी ये घड़ी खोज निकाली.
 
मित्रों जिस तरह कमरे की शांति घड़ी ढूढने में मददगार साबित हुई उसी प्रकार मन की शांति हमें जीवन की ज़रूरी चीजें समझने में  मददगार होती है . हर दिन हमें अपने लिए थोडा वक़्त  निकालना चाहिए , जसमे हम बिलकुल अकेले हों , जिसमे हम  शांति से बैठ कर खुद से बात कर सकें और अपने भीतर  की आवाज़ को सुन सकें , तभी हम जीवनको और अच्छे ढंग से  जी पायेंगे

सोमवार, जून 24, 2013

आप हाथी नहीं इंसान हैं !

एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया. उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ की हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं!!! ये स्पष्ठ था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे.
उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ?
तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे पर से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती की इस बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों को नहीं तोड़ सकते,और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.”
आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!! इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं.
याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है ,और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है. यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए….. आप हाथी नहीं इंसान हैं.