बुधवार, फ़रवरी 21, 2007

क्या ईश्वर देखा है तुमने ?


कहते है जिसे ईश्वर
क्या देखा है तुमने
जिसने सारा संसार बनाया
क्या देखा है तुमने ।।

संसार में इंसान आया
इंसान मे शैतान समाया
शैतान के कारण बनता दु:ख
और दु:ख मे छिपता सुख ।।

कैसी है ये भाग्य विडम्बना
ईश्वर से इंसान बना
दु:खो एव सुखो के मेल से
एक नया संसार बना ।।

दु:ख और सुख है
एक भंवर की भांती
जिसमे फस गये तो
फसे रहते दिन राती ।।

न फसे तो सिर्फ शून्य
शून्य मे फिर ईश्वर
कहते है और जिसे परमेश्वर
क्या देखा है तुमने ।।

पर बंधी है एक विश्वास की डोरी
रचना की जिसने इस सृष्टि की
वह ईश्वर है, वह ईश्वर है
न देखा है तुमने न देखा है मैने ।।

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